Wednesday, March 4, 2009

सुना है फागुन आया है

छन-छन के ख़बर आ रही है की फागुन आ गया है । मौसम में गर्मी आ गई है। मिजाज़ तेज़ हवा के पतवार की तरह
इधर उधर भागने लगा है । यह अभी ख़बर ही है । फसल पक गई है और उसे काटने के लिए मुंबई, दिल्ली और कोलकाता से ट्रेनों में लटक कर बाकें नौजावान गाँव के लिए निकल रहे है । कई साल बीत गए, दोस्तों के फ़ोन आते रहते है, इस साल होली में आ रहे हो कि नही ? साफ साफ कुछ भी बता नहीं पाता हूँ ।
जाने दीजिये ये सब आ को भी मालूम है फिर भी न जाने क्यूँ उलूल ज़लूल लिख रहा हूँ । कादो-माटी, नाला-नाली,देवर-भौजी, उँच-नीच, भेद-भाव और हाँ अबीर-गुलाल ।आबिदा यह गायकी शायद मन को थोड़ा सकून दे ।

आज रंग है

3 comments:

Satish Chandra Satyarthi said...

bahut khoob

VIMAL VERMA said...

दिव्य है गुरु.....ऐसे ही महौल को रंगीन बनाए रखिये..शुभकामनाएं होली की.....

bhojan bhatt said...

मयंक भाई
स्वागत है ब्लॉग के इस संसार में
होली की शुभकामनाये
भोजन भट्ट