बहुत पहले एक राजस्थानी लोकगीत सुना था मन में बस गया था । कुछ दिनों के बाद एक हिन्दी फ़िल्म में उसी गाने का अपभ्रंस सुना था वो भी बहुत लोकप्रिय हुआ था । लेकिन मेरा मन उसी राजस्थानी
लोकगीत में अटका हुआ है । आप लोगों ने भी उसे सुना होगा लेकिन फिर भी मैं उसे सुनना चाहता हूँ ।
इस गीत को गाजी मगनियार और उसके ग्रुप ने गाया है। आप भी इसका मज़ा लीजिये।
लोकगीत में अटका हुआ है । आप लोगों ने भी उसे सुना होगा लेकिन फिर भी मैं उसे सुनना चाहता हूँ ।
इस गीत को गाजी मगनियार और उसके ग्रुप ने गाया है। आप भी इसका मज़ा लीजिये।
4 comments:
तबियत तर दिये भाई,भाई आपसे यही उम्मीद थी.....बहुत बहुत शुक्रिया...कई बार सुन चुका हूँ..मन भर नहीं रहा...लोकगीतों की एक बात जो मैने नोट की है कि इसका तार सीधे दिल से जुड़ा होता है और आज सुनने के बाद तो साबित भी हो गया मित्र...लगे रहे मित्र।
बढ़िया है भाई.. संगीत के अलावा कथा-कहानी, राय-मशविरा, गप्प-सड़ाका भी छापें.. आनन्द आएगा!
Sarahniy prayas........Sadhuvad.....
आहा दिल खुस हो गया, निम्बुडा ओरिजनल गाना सुन कर | मैंने बहुत मुस्किल से इस गीत का ओरिजनल सी.डी. करीदा था | धन्यवाद भाई ओरिजनल सुनाने के लिए |
समय समय पर ऐसे ही ओरिजनल सुनते रहिये, दिल आपको दुवायें देती रहेंगी | और एक बात गाने के साथ साथ ओरिजनल गीत की सी.डी. कहाँ और कैसे प्राप्त की जा सकती है भी डालें तो अच्छा रहेगा| इसी बहाने कुछ ओरिजनल सी.डी. भी बिक जायेंगे और हमारे पास भी वो गीत आजायेगा |
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