आगाज़ पंडित जसराज से कर रहा हूँ । पुराने पिटारे से बहुत कुछ खोज कर निकला है । गाहे बगाहे कुछ सुनने को मिलता रहेगा । ठुमरी वाले विमल भाई से वादा किया था पंडित जसराज को सुनवाने का उसी क्रम कि यह पहली कड़ी है ।
Thursday, February 26, 2009
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9 comments:
वाह वाह मयंक जी,शानदार.... मित्र आपका स्वागत है ...आप अपने पिटारे से मोती निकालते रहिये...सबको आनन्दित करते रहिये.....
माहौल को पूरा फगुआ दिए आप तो.
मजा आ गया.
इसे बार बार सुनने के लिए बुकमार्क कर लिया है.
स्वागत है भाई. आगाज़ ये है तो सफ़र सुरीला होगा इतना तो इत्मीनान हो गया ..... मुन्तजिर बैठे हैं भाई ....
बहुत ही शानदार ....आपका स्वागत है
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
सुरों के ब्लॉगजगत में स्वागत है मित्र. विमल भाई ने आपसे आशा बाँधी है और जगाई है और पहली पोस्ट से लग रहा है कि ठीक ही किया है.
स्वागत है!
आ गए हैं ब्लाग जगत में लेकर , क्या रंग है ज़मानेका.
शुक्रिया मयंकजी रस भरे गीत सुनाने का ,
सुक्रिया दोस्तों आप की हौसला अफजाई के लिए
मृगनैनी को यार नवल रसिया सुन के मजा आ गया | पोस्ट के लिए बहुत बहुत धन्यवाद | ऐसे ही सुरीली आवाज़ से रु-बा-रु करवाते रहिये |
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